छत्तीसगढ़ प्रशासनिक सेवा के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान

छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान एक प्रशासनिक अधिकारी के लिए समाज में व्यावहारिक गठजोड़ बनाने के लिए नितांन्त आवश्यक है, भाषाई कुशलता एक अधिकारी को कार्यो को सही रूप में संपादित करने मदत करती है।

Monday, July 18, 2016

पंडित सुन्दरलाल शर्मा

पंडित सुन्दरलाल शर्मा - "दुलरवा" नामक  छत्तीसगढ़ी पत्रिका का संचालन किया  

रचित खण्डकाव्य
१)" छत्तीसगढ़ी दान लीला" खण्डकाव्य 1915
२) 'कंश वध' 

रचित  नाटक 
१) पार्वती परिणय नाटक 
२) सीता परिणय नाटक 
३) विक्रम शशिकला नाटक

 रचित काव्य 
१) राजीव प्रेम पियूष काव्य 
२) काव्या मृति वर्षिणी  काव्य 

और 

१) श्री कृष्णा जन्म आख्यान 
२) करुणा पचीस
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Sunday, July 17, 2016

वचन 

छत्तीसगढ़ी में दो वचन होते है
जैसे हिंदी में होता है। 
एकवचन 
बहुवचन 

लेकिन छत्तीसगढ़ी शब्दों में बहुवचन का निर्माण एकवचन  में  मन  प्रत्यय बाद में लगने से बन जाता है। 
 बइला  - बइलामन
 कई बार बहुवचन सब या सब्बो या जम्मा या जम्मो लगने से बनता है। 
 सब बइलामन
 सब्बो बइलामन
 जम्मा बइलामन
जम्मो बइलामन
बहुवचन बनाने के लिए कुछ शब्द पहले लगे जाते है
 गंज , खूब , निचत, बढियन। 



Posted by Chef Gulshan Sahu at 11:38 PM No comments:
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लिंग 

1) पुल्लिंग :- वे शब्द जिनका अंत आ और व्यंजन शांत हो पर त न हो वे अक्सर पुल्लिंग  है।
उदाहरण : दुआर, पाना , पखना , दसना
2) स्त्रीलिंग: जिनका अंत ई और त हो वे अक्सर स्त्रीलिंग होते है
उदाहरण : माटी, लउठी, चटई, रात

3) गिया (गुईया या मित्र)

सखी
गरुआ
मनसे
लइका 
चिरई 
 ये सभी उभयलिंग है


Search Re उभयलिंग

Posted by Chef Gulshan Sahu at 10:46 PM No comments:
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